भीत हैं
हमारे शब्द
अर्थ भी हैं
डरे-डरे…
समय विकट
है यदि
अब आशा से भी
क्यों मरें…
#काव्याक्षरा

शायर हूंँ मनमौजी नहीं! लेखिका हूँ पर गुम भी नहीं! मेरी शख़्सियत मेरे उसूलों की नज़ीर है! मेरे ज़हन की गहराई बेनज़ीर है!
भीत हैं
हमारे शब्द
अर्थ भी हैं
डरे-डरे…
समय विकट
है यदि
अब आशा से भी
क्यों मरें…
#काव्याक्षरा