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मौन
वह धैर्य ही तो थाहरगिज़ अहम नहीं था मेरामुझे मौन भी प्रिय थाहाँ बस उतना ही मेरा…✍️ #kavyakshra
Read More मौनविचारों की गरिमा
आकर्षण आज ट्विटर पर मेरे एक बहुत पुराने, सुलझे हुए, संतुलित विचारों के धनी प्रशंसक महोदय ने जब मुझसे ये अनपेक्षित प्रश्न पूछे…… 🧑 क्या मेरा आपकी रचनाओं में आपकी भावनाओं को महसूस कर पाना आपकी तरफ़ #आकर्षण है? क्या ऐसा समझना चाहिए मुझे? पता नहीं, इनका अन्तर भी अति सूक्ष्म होता है तो यदि […]
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स्त्री, पुरुष, नपुंसक सेपरे स्वरूप हमारा हैउपनिषदों ने एक मत सेयही सत्य स्वीकारा है! ✍️ काव्याक्षरा
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अच्छे मन से कही गईजो नासमझी की बातें हैंहृदय विशाल करके हमक्यों नहीं समझ पाते हैं! ✍️ काव्याक्षरा
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सहनशीलता-भावुकताकिसी स्त्री के अलंकार हैंपुरुष सजे जब इनसे तोक्यों नहीं हमें स्वीकार है! ✍️ काव्याक्षरा
Read More विचारों की गरिमायोग
“सम्यक साधना है योग” योग वह है जो शरीर आत्मा और बुद्धि का एक समयावधि में परिष्कार कर देता है! काव्याक्षरा
Read More योगज़िंदगी और मैं
ज़िंदगी और मैं
जीवन और हम
जीवनऔरहम जीवन और हमनदी-तट की भाँतिसाथ-साथ चलते हुएसमानांतर बहते हैं… एक ही दिशा मेंएकसाथ होकर भीकभी दूरस्थ तो कभीसमीप रहते हैं… एकत्व हैं हमपूरक भी हैं परस्परतो भी अनायसविरुद्ध हो जाते हैं… अस्तित्व हैं हमारेकिसी आकर्षण से बँधेफिर सायास हमनिकट आ जाते हैं…✍️ काव्याक्षरा https://www.facebook.com/688665154672164/posts/pfbid0U1UYpecyVdKPqC7Qzp3dZfC2xe7YbN9MDCZdDztxpw4or2yoiANrRSaTZvazV9Xkl/
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