नाराज़ क्यों होना किसी से
नज़र में रखना छोड़ दीजिए
काम से काम रखिए बस
उन्हें मनाना छोड़ दीजिए…
माफ़ कर दीजिए दिल से पर
अपना मानना छोड़ दीजिए
बेचैन करे खामोशी तो भी
आवाज देना छोड़ दीजिए…
परवाह कर लीजिए चाहे
पर बताना छोड़ दीजिए
कैसे भी बसर करे कोई
हक जताना छोड़ दीजिए… ✍️