
सत्य की सादगी
अभूतपूर्व होती है
संशय का अंश
तनिक शेष नहीं रहता…
जो महत्त्व देते हैं मात्र
मिथ्या मुखारविंद को
उन्हें सच के सौंदर्य का
कभी बोध नहीं रहता…✍️
शायर हूंँ मनमौजी नहीं! लेखिका हूँ पर गुम भी नहीं! मेरी शख़्सियत मेरे उसूलों की नज़ीर है! मेरे ज़हन की गहराई बेनज़ीर है!
सत्य की सादगी
अभूतपूर्व होती है
संशय का अंश
तनिक शेष नहीं रहता…
जो महत्त्व देते हैं मात्र
मिथ्या मुखारविंद को
उन्हें सच के सौंदर्य का
कभी बोध नहीं रहता…✍️
सत्य और अतिसुन्दर
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😊🌹
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