खींच लाती है वो मुझको
उम्र के दायरों से बाहर
उसकी खुशमिज़ाजी मुझे
बूढ़ा नहीं होने देती! ✍️
शायर हूंँ मनमौजी नहीं! लेखिका हूँ पर गुम भी नहीं! मेरी शख़्सियत मेरे उसूलों की नज़ीर है! मेरे ज़हन की गहराई बेनज़ीर है!
खींच लाती है वो मुझको
उम्र के दायरों से बाहर
उसकी खुशमिज़ाजी मुझे
बूढ़ा नहीं होने देती! ✍️
अतिसुंदर अभिव्यक्ति 👌
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