#कब्र…

नम हो गई निगाहें
अश्कों के असर से
तकाज़े में वफ़ा हारी
किसका कुसूर था…!!

मेरी कब्र पर गुलों की महक
अब तलक बाकी है
छाया किसी के ज़हन में
मेरा सुरूर था…!!

बीते हुए लम्हों को
जीने की कोशिश में
यादों को गुनगुनाने
कोई आया ज़रूर था…!!

आँसू के नमक से
मिट्टी तक सफ़ेद है
व़क्त थम-सा गया होगा
कोई रोया ज़रूर था…!!
#काव्याक्षरा
********************

4 thoughts on “#कब्र…

Leave a reply to काव्याक्षरा Cancel reply