नम हो गई निगाहें
अश्कों के असर से
तकाज़े में वफ़ा हारी
किसका कुसूर था…!!
मेरी कब्र पर गुलों की महक
अब तलक बाकी है
छाया किसी के ज़हन में
मेरा सुरूर था…!!
बीते हुए लम्हों को
जीने की कोशिश में
यादों को गुनगुनाने
कोई आया ज़रूर था…!!
आँसू के नमक से
मिट्टी तक सफ़ेद है
व़क्त थम-सा गया होगा
कोई रोया ज़रूर था…!!
#काव्याक्षरा
********************
मन को स्पर्श करने वाली रचना
LikeLiked by 1 person
जी! 🙏🏻आभार महावीर जी🌷
LikeLike
बहुत सुन्दर काव्या जी 👌👌👏👏
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद रवि जी😊🌷
LikeLike